Diwali Wishes | A Captivating Journey Through Memories and Reflections

"A child gazes at the world from a forty-year distance, a tangy, Paniphal resting in his hands."

~Uday Prakash, Renowned Poet and Writer

एक बच्चा चालीस साल की दूरी से दुनिया को देखता है, उसकी हथेलियों में कसैला पानी-फल है।
एक आक्रान्त, अपने आप में डूबा अकेला बचपन और एक आशंकाओं में घिरा अनिर्णीत भविष्य, एक हताश और गहराता हुआ अन्धकार और एक मुक्ति का विश्वास दिलाता जगमग रौशन क्षितिज, एक भयग्रस्त पलायन और फिर पलटकर एक निर्भय प्रत्याघात।
जीवन के अनगिन धुँधले सूर्यास्तों और फिर उजालों और उम्मीदों से भरे पुनर्जीवन की मिसाल या प्रतिमान बनते उत्कट जीवन-संग्राम की मार्मिक और रोमांचक कथा कहती, चर्चित युवा रचनाकार-लेखक यतीश कुमार की यह आत्मकथा इस नए वर्ष, सन् 2024 में स्वयं उनके लिए अतीत के बीहड़ यथार्थ में दुबारा लौटकर दाख़िल होने का एक नया, चुनौतियों से भरा सृजनात्मक प्रयास है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह साहित्यचिन्तन ही नहीं, मानविकी के समस्त अनुशासनों की मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति अपने बचपन में दुबारा नहीं लौट सकता। इसके लिए किसी न किसी ऐसी युक्ति या डिवाइस के ईज़ाद की ज़रूरत होगी, जो स्मृतियों के धुँधलके में घिरीं तमाम सँकरी-उलझी पगडंडियों में उल्टी दिशा में रेंग सके।

यतीश कुमार ने अपने बचपन और अतीत में जाने के लिए जिस ‘युक्ति’ का आविष्कार किया है, उसे वे ‘अतीत का सैरबीन’ का नाम देते हैं। यह कोई भौतिक गैजेट नहीं है, यह भाषा, शब्द और वाक्यार्थों में अवस्थित एक नितान्त निजी और सृजनात्मक माध्यम है, जिसके सहारे वे देश के सुदूर दक्षिण-पूर्व में अपनी ज़िन्दगी के लिए छटपटाती एक छोटी-सी नदी किऊल के तट पर बसे एक अर्द्ध-ग्रामीण क़स्बे के जीवन के बीस वर्षों (1980-2000) की स्मृतियों का मार्मिक, सम्मोहक, विकट, साहसिक और ईमानदार सार्वजनिक रचनात्मक रोजनामचा दर्ज करते हैं। स्मृतियों के पुनर्लेखन या उत्कीर्णन की यह श्रमसाध्य और कलात्मक कोशिश है।
पूरी उम्मीद है समकालीन रचनात्मक परिदृश्य में ‘बोरसी भर आँच’ अपनी ख़ास जगह बनाएगी।
—उदय प्रकाश

mp4

Borsi Bhar Aanch Sneak Peak 1.mp4

31.7MB
An excerpt from the audio book Borsi Bhar Aanch | A 6 Hours + listening experience

About the Writer

Yatish Kumar, born on August 21, 1976, in Munger, Bihar, is a poet and storyteller, and an IRSME officer of the 1996 batch. Renowned for his exceptional contributions to the Indian Railways, he has received numerous awards.

His memoir, Borsi Bhar Aanch : Ateet Ka Sairbeen, was released this year, offering a glimpse into his journey.

Scan the QR Code to listen the whole book on YouTube in a go with timestamps and chapter headings

Listen with Irfan

मेरे लेखे टेक्स्ट जब बयान और वर्णित सच्चाइयों समेत दिल में उतर जाता है तो उसका वाचन महज़ रस्म अदायगी नहीं होती। फिर मेरे लिए वह प्रचलित अर्थों का काम भर नहीं रह जाता। ऐसा होने से ही आपको शायद ऐसा लगा हो कि स्वयं लेखक की वाणी वाचक के स्वर में समाई जा रही है। यह संगीत में वादक और वाद्ययंत्र का एकीभूत हो जाना है जिसके लिए अतिरिक्त या बलपूर्वक प्रयास निरर्थक है। बलराज साहनी की फ़िल्मी आत्मकथा सुनते हुए भी आप को अगर ऐसा एहसास हुआ तो उसमें भी मैंने बलराज साहनी की आवाज़ इम्पर्सोनेट करने की कोशिश नहीं की बल्कि टेक्स्ट के साथ ईमानदार रहने और उसे अपना बना लेने से थोड़ा संतोषजनक पाठ ध्वनित किया जा सका। यतीश जी ने जिस प्रकार मुझ पर विश्वास किया और ज़रूरत के मुताबिक़ अपने ऑब्ज़र्वेशन्स मुझे बताए, उनसे लेखक का मंतव्य श्रोताओं तक लाने में काफ़ी मदद मिली। 

पुस्तकों को पढ़कर सुनाना एक ज़िम्मेदारी का काम है जिसे करते हुए अब मुझे 40 साल का समय हो चुका है। इसमें यह खतरा हमेशा बना रहता है कि पाठक की कल्पना और उसकी भाष्य स्वतंत्रता में वाचक कोई इकहरा अर्थ न प्रस्तावित कर दे। वाचिक सौंदर्य के सैद्धांतिक और प्रस्तुति सम्बन्धी  तत्त्वों के बीच एक तनी रस्सी पर चलना अंततः कैसा हो पाया, यह आपके श्रवणअनुभव और आश्वस्ति से ही नियंत्रित होता है। बहुत आभार।  

मुझे विश्वास है कि जो श्रोता भी यह सुनने आएगा, निराश नहीं लौटेगा। आपसे राय लेना मेरी पहली ज़िम्मेदारी क्यों न होती, जबकि अंततः आपके ही शब्दों का मैं वाहक बन रहा हूँ। आपने जो भरोसा रखा उससे भी पाठ को अपनाने में मुझे मदद मिली। हिंदी का सुधी समाज अपनी श्रवण संवेदना में अभी वयस्क होना है, इसलिए इस कोशिश के नतीजे धीमे हैं। 

The above text is my response to a facebook post by Ajay Brahmatmaj praising the presentation.

Click here to buy the book Borsi Bhar Aanch

Playlist on Spotify

Chaptered on YouTube with Time Stamps

Also available on Pocket Casts, Radio Public, Cast Box, Overcast, iHeart Radio and Stitcher

Write a comment ...

Syed Mohd Irfan

Show your support

Dear Reader, I hope this message finds you well. I am writing to share my passion and dedication for my independent endeavors as a broadcast journalist, archivist and literary commentator, and to kindly request your support. As an independent cultural activist, I pour my heart and soul into my passion. It is a deeply personal expression of my thoughts, emotions, and perspectives on the world around me. Through my efforts, I strive to inspire, provoke thought, and evoke emotions in those who experience it. However, pursuing a career in the cultural arena can be challenging, especially without the backing of a large institution or organisation. Financial constraints, limited resources, and the lack of exposure pose significant obstacles that I am determined to overcome. Your support can make a world of difference in my artistic journey. Should you have any questions or require further information, please do not hesitate to reach out. Thanks a lot. Contact ramrotiaaloo@gmail.com

Recent Supporters

Write a comment ...

Syed Mohd Irfan

Broadcast Journalist | Archivist | Music Buff | Founder Producer and Host of the longest running celebrity Talk Show Guftagoo on TV and Digital #TEDxSpeaker #Podcaster #CreativeWriter