
बलविंदर की उम्र कोई 55 साल है. ड्राइवर है. पिता पंजाब नेशनल बैंक में मैनेजर थे. पिता ने सिखाया कि काम हो या न हो. सुबह साढे तीन-चार बजे उठ जाया करो और पाठ-प्रार्थना कर के ही घर से निकला करो.
बलविंदर पिता की सीख से कभी पीछे नहीं हटे. भाइयों में से एक अमरीका में दूसरा जापान में और तीसरा जर्मनी में है. खुद कहीं जाने की सोची नहीं क्योंकि उनका कोई नहीं है. 1988 में शादी हुई थी जो आखिरकार 2003 में तोडनी पडी. बीवी लडाई करती थी और बीमार मां को खाने को नहीं देती थी क्योंकि उसके पास से पेशाब की बास आती थी.
"तेरे को रहना है तो ठीक से रह वरना जा", कहने पर बीवी ने जाना ही तय किया.
उसके घरवाले आ गये 25 लाख रुपये मांगने लगे. बलविंदर ने कहा इतना तो नहीं दे सकता. दोनों लडकियों के नाम 5-5 लाख रुपये जमा कराए और बीवी को एक लाख रुपया दिया, वो रोहतक जा बसी.
लडकियों की याद में बलविंदर शीशगंज गुरुद्वारे में तीन साल तक मत्था नवाए रोया करता. लडकियां शुरु-शुरु में मिलने आती रहीं लेकिन फिर आ न सकीं क्योंकि बीवी को पता चलता तो लडकियों को मारती-पीटती.
बलविंदर को टेंशन पसंद नहीं है, अब वो ठीक ज़िंदगी गुज़ार रहा है.
Irfan 4 October 2012

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