एक किसान के बेटे ने एक्टर बनने का ख़्बाब देखा, उस ख़्वाब को पूरा करने में अपनी सारी लगन, मेहनत और ज़िद झोंक दी और बन गया नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी।
नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी ने अपनी विशिष्ट अभिनय शैली से एक बार फिर इस बात को गलत साबित कर दिया है कि फ़िल्मों में कामयाबी के लिए एक्टर की क़द काठी और ख़ास तरह की शक्ल ओ सूरत का बेहद अहम रोल है।
दिल्ली में थियेटर करने के बाद मुंबई पहुंचे नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी को एक दशक से भी ज़्यादा का वक़्त ये सिद्ध करने में लगा कि एक्टिंग का उनका अपना बिलकुल अलग मुहावरा है और उन्हें अब और ज़्यादा नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता।
19 मई 1974 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर के एक क़स्बे बुढ़ाना में पैदा हुए नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी शोहरत की जिन बुलंदियों पर आज हैं उसके पीछे संषर्ष की एक लंबी और अनकही दास्तान हैं. आपके पसंदीदा प्रोग्राम गुफ्तगू में नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी ने अपनी ज़िंदगी के कई पहलुओं पर पहली बार खुलकर बातें कीं.
इरफान : नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, जहां से आपने पढ़ाई की, वहां हम आपका नाम देखते हैं नवाज़ुद्दीन नंबरदार...ये क्या कहानी है कि नवाज़ुद्दीन नंबरदार बाद में चलकर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी बने, लेकिन ये नंबरदार कहां से आया?
नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी: आपने ये सवाल बहुत अच्छा किया..एक्चुअली बहुत सारे लोगों को मालूम नहीं है कि हम लोग जो थे किसान परिवार से जरूर थे लेकिन जमींदार किस्म के लोग थे। अभी भी जमीनें हैं हमारे पास। काफी खेतीबाड़ी होती थी। तो हमारे दादा परदादा को ये पदवी दी गई थी। जैसे बहुत सारे लोग बोलते हैं कि मैं थोड़ा गरीब फैमिली से हूं, ऐसा नहीं ह। आई थिंक ये पहली बार आपने सवाल किया। अच्छी खासी फैमिली रही और जमींदार खानदान से बिलांग करता हूं मैं। तो ये वहां से था नाम। और नंबरदार नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी नाम था मेरा तो फिर मैंने चेंज कर लिया कि नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी ज्यादा ठीक है।
इरफान : ये जो जमींदार परिवार है, ये मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना कस्बे में कब से बसा होगा?
नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी: बुढाना कस्बे में हम लोग आई थिंक दादा परदादा के जमाने से ही हैं।
इरफान : और उसके बाद फिर सब लोग खेती किसानी के काम में लगे रहे और हम देखते हैं कि आपके अपने भाई बहनों में आप सबसे बड़े हैं तो बुढ़ाना में भी इतने सारे स्कूल और ड्रिग्री कॉलेज होने के बावजूद हम आप हरिद्वार के किसी गुरूकुल कांगड़ी में पढ़ने भेजे गए, वो क्यों भेजे गए होंगे?
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